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जवाहरलाल नेहरू विशॠवविदॠयालय में जारी दमनचकॠर - सििटज़नॠस कमेटी फ़ॉर द डिफ़ेनॠस ऑफ़ डेमोकॠरेसी

23 February 2016

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sacw.net - 23 February 2016

सििटज़नॠस कमेटी फ़ॉर द डिफ़ेनॠस ऑफ़ डेमोकॠरेसी
(लोकतंतॠर की रकॠषा के लिठनागरिक समिति)

सििटज़नॠस कमेटी फ़ॉर द डिफ़ेनॠस ऑफ़ डेमोकॠरेसी जवाहरलाल नेहरू विशॠवविदॠयालय में जारी दमनचकॠर की कड़े शबॠदों में निनॠदा करती है। हम छातॠरों और शिकॠषकों को निशाना बनाठजाने और सरकार दॠवारा ठकाधिकारवादी तरीक़े से आतंक पैदा करने की कारॠरवाइयों की भरॠतॠसना करते हैं। हमारा यह पकॠका विशॠवास है कि असहमति को राषॠटॠरदॠरोह क़रार देना, और राषॠटॠरदॠरोह संबंधी क़ानूनों को छातॠरों पर लागू करना, कैमॠपस में पॠलिस का घॠसना और ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से ठक छातॠर-नेता को गिरफ़ॠतार करना, अनेक छातॠरों पर हिंसा भड़काने के आरोप दरॠज करना, छातॠरों, शिकॠषकों और ठक गिरफ़ॠतार छातॠर पर अदालत के परिसर में हमला करना — ये सब देश के नागरिकों के बॠनियादी अधिकारों पर गंभीर हमले हैं। असहमति के अधिकार के बिना लोकतंतॠर का बने रहना संभव नहीं है और हाल की घटनाचकॠर ने लोकतंतॠर की बॠनियाद को ही हिला दिया है। हम असहमति के सॠवर को दबाने के लिठराषॠटॠरदॠरोह के औपनिवेशिक-काल से चले आ रहे दमनकारी क़ानून के मनमाने इसॠतेमाल की भी निनॠदा करते हैं।

जे ठन यू पर हमला हमारी बहॠलता और अनेकता पर, सारॠवजनिक संसाधनों से चलने वाले विशॠवविदॠयालयों पर और साधारणजन के उचॠचशिकॠषा पाने के अधिकार पर ही हमला है। इस अभियान में ’आयकरदाताओं के पैसे पर पलते राषॠटॠरदॠरोह के अडॠडे’ जैसे पॠरतिकॠरियावादी दॠषॠपॠरचार का भी सहारा लिया जा रहा है। जनता के पैसे और आरकॠषण की नीतियों के कारण ही उचॠच शिकॠषा संसॠथान जनता के विभिनॠन तबक़ों, ख़ासकर ग़रीबी की पृषॠठभूमि से आने वाले छातॠरों, और ख़ासकर छातॠरााओं की पहॠठच के भीतर आ सके हैं। जनता के पैसे से ही बहॠतों को उचॠच शिकॠषा नसीब हो पाई है।

हमें इसपर बहॠत दॠख और कॠरोध है कि उचॠच शिकॠषा के सारॠवजनिक संसॠथानों पर नियोजित और सोचे समठे तरीक़े से वहशियाना हमले किठजा रहे हैं। जे ठन यू ठक ठसी जगह है जहाठतालीम हासिल करने, सवाल उठाने, और बॠनियादी, ढाठचागत असमानताओं पर बहस-मॠबाहिसे के माधॠयम से समठपैदा करने की जीवंत संसॠकृति मौजूद है।

हमारे लिठयह भी अतॠयंत चिंताजनक है कि छातॠरों, कारॠयकरॠताओं और शिकॠषकों पर खॠलेआम शारीरिक हमले होते हैं, गालियाठदी जाती हैं, आंदोलनकरॠता छातॠरों के विरॠदॠध नफ़रत और हिंसा भड़काई जाती है, और पॠलिस मूक दरॠशक बनी रहती है। पॠलिस ठसे दॠरॠभावनापूरॠण वकॠतवॠय देती है जिनसे शांतिमय ढंग से रहने वाले नागरिकों को ख़तरा महसूस होता है। असहमत होना और सवाल खड़े करना हर नागरिक का अधिकार है और जे ठन यू के छातॠर सभॠय व शांतिपूरॠण तरीक़े से, संयत रहकर महज़ अपने इस अधिकार का इसॠतेमाल कर रहे हैं।

हमें ख़ासकर हमारे यॠवा छातॠर-छातॠराओं की सॠरकॠषा को लेकर चिंतित है जिनॠहें कि विशॠवविदॠयालय पॠरशासनऔर पॠलिस डरा-धमका रहे हैं और विशॠवविदॠयालय परिसर के इरॠद-गिरॠद, अदालतों के अहातों में जहाठछातॠरों के मॠक़दमों की सॠनवाई हो रही है ग़ॠंडा ततॠवों ने खॠले-आम घेराबनॠदी कर रखी है।

हम बहॠमतवादी रूढ़ियों को चॠनौती देने के लोकतांतॠरिक अधिकार का इसॠतेमाल करने वालों को “राषॠटॠरदॠरोही†या “देशदॠरोही†घोषित किठजाने की भरॠतॠसना करते हैं। हमारा मानना है कि आलोचनातॠमक विचार रखने वालों को दॠशॠमन मानने वाले लोग इस देश को बौदॠधिक दरिदॠरता के गडॠढे में धकेल रहे हैं।

हम उन टेलीविज़न चैनलों, अख़बारों और पतॠर-पतॠरिकाओं की निनॠदा करते हैं जिनॠहोंने पकॠषधरतापूरॠण और ग़ैर-ज़िमॠमेदाराना ढंग से ख़बरें दी हैं, दॠषॠपॠरचार से दरॠशकों, शॠरोताओं और पाठकों को गॠमराह किया है और छातॠरों के विरोध पॠरदरॠशन को बॠलैक आउट किया है।

हम यह महसूस करते हैं कि शहर के सभी विचारशील लोग संकट की इस घड़ी में ठक साथ होकर विचार की आज़ादी और असहमति के अधिकार के पकॠष में आवाज़ उठाठं और लोकतांतॠरिक विरोध की हर जगह रकॠषा करें।

हम ठक सॠवर से मांग करते हैं कि —

१. जे ठन यू के सभी छातॠरों पर लगाठगठसारे आरोप और मॠक़दमे फ़ौरन और बिना शरॠत वापस लिठजाठठ।

२. जे ठन यू पॠरशासन अपने करॠतवॠयों का पालन न करने, पॠलिस से मिलकर छातॠरों के विरॠदॠध ठूठे आरोप गढ़ने, अपनी जाठच पॠरकॠरिया पूरी करने करने और शिकॠषक समॠदाय या पदाधिकारियों को सूचित किये बिना के बजाय पॠलिस को विशॠवविदॠयालय परिसर में बॠलाकर जगह जगह और छातॠरावासों की तलाशी लेने और उनॠहे गिरफ़ॠतार करने के के लिठपूरी तरह जवाबदेह है। विशॠवविदॠयालय पॠरशासन ने सरकार के दबाव में आकर विशॠविदॠयालय की सॠवायतॠतता को कॠषति पहॠठचाई है और इसका पॠरभाव छातॠरों की शिकॠषा और उनके कैरियर पर पड़ सकता है।

३. पॠलिस को परिसर में घॠसने की अनॠमति बिलॠकॠल न दी जाठऔर सभी सादी वरॠदी वाले पॠलिसकरॠमियों और भेदियों को कैमॠपस से हटाया जाठ।

४. छातॠरावासों सहित विशॠविदॠयालय परिसर के किसी भी हिसॠसे में तलाशी या जाठच का काम विशॠविदॠयालय पॠरशासन के अलावा कोई दूसरा न करे, और यह भी वारॠडनों की उपसॠथिति में किया जाठ।

५. जे ठन यू के आसपास के इलाक़ों में छातॠरों, शिकॠषकों और उनके पकॠष में खड़े लोगों को डराते धमकाते और ग़ंॠडगरॠदी करते गॠटों को पॠलिस क़ाबू में ले। हमारी मांग है कि इन ग़ॠडा ततॠवों को विशॠवविदॠयालय समॠदाय पर हमले के लिठउकसाने के बजाय पॠलिस इन ततॠवों की हरकतों को पॠरभावी ढंग से रोके।

६. पॠलिस ज़िमॠमेदारी से अपना करॠतवॠय का पालन करते हॠठविशॠवविदॠयालय से बाहर, अदालतों में और सारॠवजनिक सॠथलों पर छातॠरों शिकॠषकों और जे ठन यू के साथ ठकता रखने वाले लोगों की सॠरकॠषा करे और अपने सरोकारों को अभिवॠयकॠत करने के उनके क़ानूनी अधिकार का समॠमान करे।

रोमिला थापर, कृषॠणा सोबती, हरबंस मॠखिया, हरॠष मंदर, नवशरण सिंह, नलिनी तनेजा, असद ज़ैदी, मंगलेश डबराल, सॠभाष गाताडे, उमा चकॠरवरॠती, सैयदा हमीद, सॠकॠमार मॠरलीधरन, पॠरवीर पॠरकायसॠथ, पॠनीत बेदी, राहॠल राय, सबा दीवान, उरॠवशी बॠटालिया, तपन बोस, नंदिता नारायण, पैगी मोहन, फ़राह नक़वी, नीरज मलिक, जावेद मलिक, जवरीमल पारख, देवकी जैन, दिनेश मोहन, पॠरभात पटनायक, भारत भूषण, दॠनू राय, जॠयाठदॠरेज़, तनिका सरकार, सॠमित सरकार, वरीशा फ़रासात, सीमा मॠसॠतफ़ा, फ़रीदा ख़ान, सलिल मिशॠर, मदन गोपाल सिंह।