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बांध सहित, हिमालय में बड़ी परियोजनाठं रोकिये। | Press Note by माटू जन संगठन (Feb 8, 2021)

by Matu Jansangthan / माटू जन संगठन , 8 February 2021

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माटू जन संगठन [Matu Jansangthan]
गॠराम छाम ,पथरी भाग 4 हरिदॠवार ,उतॠतराखंड matuganga.blogdpot.in , 9718479517

Press Note

08-02-2021

योजनाकार, ठेकेदार, राजनेताओं, सरकार दॠवारा आमंतॠरित आपदा में शहीद हॠà¤

वॠयकॠतियों के लिठहमारा शोक

बांध सहित, हिमालय में बड़ी परियोजनाठं रोकिये।

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उतॠतराखंड ने फिर ठक तबाही का मंजर देखा। चमोली जिले में ऋषि गंगा में अचानक से आई जल पॠरलय में रैणी गांव के सॠथानीय निवासी, बकरियां चराने वाले बकरवाल व 13.5 मेगा वाट के ऋषि गंगा पावर पॠरोजेकॠट में कारॠयरत मजदूर-करॠमचारी मारे गठया लापता घोषित हॠठहैं।

जिसके बाद जल पॠरलय ने धौलीगंगा में पहॠंचकर तपोवन विषॠणॠगाड का पावर पॠरोजेकॠट (520 मेगावाट) के पूरे बांध को धॠवसॠत किया। और पावर हाउस की ओर जाने वाली सॠरंगों में काफी दूरी तक मलबा व गाद भर दिया।

इस परियोजना में भी जो लोग सॠरंग काम कर रहे थे। उनकी खोजबीन अभी जारी है। कॠछ शव मिले हैं। बाकी लापता है।

जो लापता हॠई वो कब, कैसे, मिलेंगे? और कितने लोग वासॠतव में मारे गठउनकी संखॠया कभी सामने नहीं आठगी कॠयोंकि रिकॉरॠड में वही मजदूर होंगे जिनका रजिसॠटर बनता है। छोटी-छोटी ठेकेदारों कि कितने लोग कहां कहां काम कर रहे थे उसका कोई रिकॉरॠड नहीं होता। आज तक 2 जून 2013 की आपदा में लापता हॠठऔर मारे गठलोगों का पूरा रिकॉरॠड हो ही नहीं पाया।

पूरे घटनाकॠरम में दोष पॠरकृति को दिया जा रहा है। गॠलेशियर टूटने की बात जमकर के पॠरचारित हो रही है। किंतॠहिमालय की नाजॠक पारिसॠथितिकी में इतनी बड़ी परियोजनाओं को बनाने की, अनियंतॠरित विसॠफोटकों के इसॠतेमाल की, जंगलों को काटने की, परॠयावरणीय कानूनों व नियमों की पूरी उपेकॠषा पर न सरकारों का कोई बयान है ना कही और ही चरॠचा हॠई।

सरकारो ने अब तक की बांध संबंधी रिपोरॠटों, परॠयावरणविदों की चेतावनियों, पॠरकृति की चेतावनी को धॠयान नही दिया है। मधॠय हिमालय में बसा यह राजॠय पॠराकृतिक सॠंदरता से भरपूर है किंतॠसाथ ही पॠराकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। पॠरकृति के साथ लगातार की जा रही छेड़छाड़ इस तरह की आपदा को और अधिक भयावह रूप दे देती है।

7 फरवरी, 2021 की तथाकथित गॠलेशियर टूटने की घटना, यदि यह दो बांध नीचे नहीं होते तो जान माल की नॠयूनतम से नॠयूनतम ही नॠकसान करती। सरकारों को देखना चाहिठकि इन परियोजनाओं के कारण ही मजदूर व अनॠय करॠमचारी, गांव के निवासी तथा बकरवाल मारे गठहै।

रैणी गांव के लोगों ने अति विसॠफोट की बात लगातार उठाई। वह उतॠतराखंड उचॠच नॠयायालय में भी गठऔर नॠयायालय ने जिलाधिकारी को जिमॠमेदारी दी।

तपोवन-विषॠणॠगाड परियोजना की परॠयावरण सॠवीकृति को भी हमने ततॠकालीन " राषॠटॠरीय परॠयावरण अपीलीय पॠराधिकरण" में चॠनौती दी थी। जिसको समय सीमा के बाद अपील दायर करने के मॠदॠदे पर पॠराधिकरण ने रदॠद कर दिया था। इसके बाद भी परॠयावरण से जॠड़े तमाम मॠदॠदों को हम उठाते रहे किंतॠसरकार ने कभी कोई धॠयान नहीं दिया। दोनों ही बांधों के परॠयावरणीय उलॠलंघन के लिठहम सॠथानीय पॠरशासन, उतॠतराखंड राजॠय के संबंधित विभाग व केंदॠरीय परॠयावरण मंतॠरालय को पूरॠण रूप से दोषी मानते है।

उतॠतराखंड कि ठक मॠखॠयमंतॠरी सॠवरॠगीय नारायण दतॠत तिवारी ने टिहरी बांध के बाद कहा था कि अब कोई ठसा बड़ा बांध नहीं बनेगा। मगर उसके बाद महाकाली नदी पर पंचेशॠवर व रूपाली गाड बांध की पूरे धोखे के साथ 2017 में जन सॠनवाई की गई। टोंस नदी पर ठक बड़े किशाउ बांध को सरकार आगे बढ़ रही है। ये सीधा आपदाओं को आमंतॠरण है।

जून 2013 की आपदा के बाद सॠपॠरीम कोरॠट ने "अलकनंदा हाइडॠरो पावर कंपनी लिमिटेड बनाम अनॠज जोशी ठवं अनॠय" के केस में सॠवयं उतॠतराखंड की आपदा पर संजॠञान लेकर सरकार को आदेश दिया कि उतॠतराखंड की किसी भी बांध परियोजना को, किसी तरह की कोई सॠवीकृति न दी जाठ। और जल विदॠयॠत परियोजना के नदियोठपर हो रहे असरों का ठक आकलन किया जाठ।

परॠयावरण मंतॠरालय ने सॠपॠरीम कोरॠट के आदेश को गंगा कि कॠछ नदियों तक सीमित कर दिया। सॠपॠरीम कोरॠट ने अपने आदेश को सीमित करने पर परॠयावरण मंतॠरालय को कभी दोषी नहीं ठहराया। ना इस पर कोई संजॠञान लिया। समिति ने रवि चोपड़ा की अधॠयकॠषता में वनॠय जीव संसॠथान, देहरादून की 2012 वाली रिपोरॠट में कही गई 24 में से 23 परियोजनाओं को ही रोकने की सिफारिश की। किंतॠसॠपॠरीम कोरॠट ने 24 परियोजनाओं को ही रोकने योगॠय माना।

इसके बाद परॠयावरण मंतॠरालय ने ठक नई समिति बनाकर 24 में से छह बड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने कि अनॠशंसा दी। सेंटॠरल इलेकॠटॠरिसिटी अथॉरिटी ने भी ठक समिति बना दी। मगर जल शकॠति मंतॠरालय, ऊरॠजा मंतॠरालय और परॠयावरण मंतॠरालय की ओर से जो सांठा शपथ पतॠर सॠपॠरीम कोरॠट में दाखिल करना था वह आज तक नहीं हॠआ है। सॠपॠरीम कोरॠट ने भी इस पर लंबे समय से कोई सॠनवाई नहीं की है। सॠपॠरीम कोरॠट जलवायॠपरिवरॠतन के तथा लोगों की हतॠयाओं से जॠड़े इतने बड़े मॠकदमे को ना सॠनने के लिठदोषी है। इसलिठइस दॠरॠघटना के के लिठसरॠवोचॠच नॠयायालय भी जिमॠमेदार है

जबकि 2016 में ततॠकालीन ऊरॠजा मंतॠरी पीयूष गोयल ने कहा था कि हम आवशॠयकता से अधिक बिजली का उतॠपादन कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनॠसार यदि वरॠतमान के विदॠयॠत परियोजनाठं 70 से 75% भी उतॠपादन करती हैं तो हमें नई परियोजनाओं की कोई आवशॠयकता नहीं है। तो फिर हिमालय की इतनी संवेदनशील इलाकों में ठसी परियोजनाओं की कॠया जरूरत है?

यह बात भी दीगर है कि उतॠतराखंड की ठक भी बांध परियोजना में पॠनरॠवास और परॠयावरण की शरॠतों का अकॠषरश: पालन नहीं हॠआ है। ठसा ही यहां पर भी हॠआ है। बांध किसी भी नदी में आई पॠराकृतिक आपदा को विकराल रूप में बदलते हैं। रवि चोपड़ा कमेटी ने अपनी रिपोरॠट में यह सॠपषॠट लिखा था।

जून 2013 की आपदा में ठसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं। अलकनंदा नदी पर बना विषॠणॠपॠरयाग बांध नहीं टूटता तो नीचे के पॠल नहीं टूटते। बदॠरीनाथजी और हेमकॠंड साहेब के हजारों यातॠरियों को अटकना नही पड़ता। इसी नदी पर शॠरीनगर बांध के कारण निचले कॠषेतॠर की सरकारी व गैर सरकारी संपतॠति जमीदोंज हॠई। लोग आज भी मॠआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं।

सरकार ने 2013 की आपदा से कोई सबक नहीं लिया। सॠपॠरीम कोरॠट ने भी इस पर कोई कदम आज तक नहीं लिया है।

माटू जनसंगठन के अलावा उतॠतराखंड व देश के हिमालय पॠरेमी व परॠयावरणविद आदि सभी ने 2013 में ही सरकार को इस मॠदॠदे पर चेताया था कि ठसी दॠरॠघटनाठं पॠनः हो सकती है इसलिठबड़ी परियोजनाओं को रोकना ही चाहिठ।

  • इन सब मॠदॠदों पर जनपॠरतिनिधियों, नीतिकारों, अधिकारी वरॠग व सरकार की जवाबदेही सॠनिशॠचित होनी ही चाहिठ। वे ही इन बांधों को विकास और बिजली के लिठआगे बढ़ाते है।
  • परियोजनाओं में कारॠय तमाम परियोजनाओं में कारॠयरत मजदूरों का पूरा रिकॉरॠड बनाने के आदेश जारी हो

विमल भाई

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Matu Jansangthan
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